Monday, October 19, 2015

तीन पत्ती

माधो,किशन और राधेश्याम नें
खेली सुबह सुबह
पहले तो
कैसिनो में
तीन पत्ती,

फिर सुलगाई चैन की बीड़ी
बैठ क्रूज़ लाइनर के कालीनों पर,
झाँकते सुनहरी खिड़कियों से
देखते अलंग के सागर का विस्तार,

छुआ जीते जी
सपनों के स्वर्ग का एक एक स्तम्भ,
स्टेनलैस स्टील टेबल, कॉफी मेकर, डिश वॉशर,
ओवन, तिजोरियाँ, शंडलीयर, लैंप,

परदों के पीछे
खोले बिन पानी के शावर
अपने तपते वजूद पर ,
नहलाया धुलाया
मन की इच्छाओं को मल मल,

फिर
कह अलविदा
फूँक उन्हीं बीड़ियों की चिंगारियों से आग,
जला उठा लिए अपने अपने गैस कटर
करने टुकड़ा टुकड़ा
कैसीनो ओशन लाइनर
टैक्सास ट्रैयर !

No comments:

Post a Comment