भेड़ों को कब था इनकार उससे जो ज़रूरी था करना,
बस चाहती थीं एक बार कोई कर के दिखा दे,
डंडा तो हिलाये आँखों के सामने,
रखे गद्दी कुत्ता एक अगल बगल, इजाज़त तो दे।
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