Saturday, August 30, 2014

इम्तेहान

ओ सूरज
चमकते रहना,

ओ चोटियों की बर्फ़
पिघलते रहना,

ओ झरनों
तुम बहना
निरंतर,

ओ नदिया
बाँध
तुम
भरती
रहना,

बाँध!
तुम
बनाना बिजली
रात भर
बिन रुके,

कल है
मेरा
इम्तेहान,
करनी है
तैयारी,
बल्ब
तुम
जलते रहना।

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