कहाँ से बदलूँ तेरी ज़िन्दगी, कहाँ से हस्तक्षेप करूँ!
गिड़गिड़ा मत साफ़ साफ़ बता,
उठा अपनी ज़िम्मेदारी का कोयला, कहीं लकीर तो लगा।
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