Sunday, August 31, 2014

इजाज़त

पंख
भी थे,
आसमान
भी,
परिंदों को
न मिली
इजाज़त
माँ बाप से
उड़ जाने की,

फ़र्माबरदार
ताउम्र
रहे
छतों पर
रेंगते,
बीनते
फेंके
दाने।

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