साँसों की तितलियाँ
Tuesday, August 26, 2014
गेंद
हैण्ड
ग्रेनेड
था मैं,
ख़ुद को
गेंद
समझता
रहा,
उस्ताद ने
पिन
निकाली
तो
मुझे
समझ आया।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment