कहाँ हैं वो ज़मींदार बुलाओ उनको,
खाते हैं हवेलियों की चारपाइयों पर आज सभी, जिन्हें मनाही थी,
कहो उनसे, मिट्टी से जगाओ, दिखाओ उनको।
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