Thursday, August 21, 2014

हल

बीघों में
थे
जो
खेत
गाँव में,
तीसरी मंज़िल
के फ्लैट
की
बालकोनी
के
गमले में
सिमट गए हैं,

बेच आया हूँ
ज़मीनें,
अब
हर सुबह
गमले में
नज़रों के
चलाता हूँ
हल,

किसान का बेटा हूँ,
पीछे छोड़
गाँव
शहर आया हूँ।

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