मचल कर शायद ले रही हो करवट वो काग़ज़ की टिकट किसी मिट्टी में, जिस पर लिखा था कभी वो शेर जो अभी याद आया,
शेर को तो है बखूबी याद वो सफ़र जो उसने करवाया!
No comments:
Post a Comment