क्राँति मैदान में आ गई यकदम जो मूसलाधार बारिश, भाग कर शामियानों में घुस गई भीड़,
आज भी वहीँ सीना तान डटे खड़े मुस्कुराते भीगते रहे क्रांतिकारियों के बुत।
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