साँसों की तितलियाँ
Tuesday, August 5, 2014
हठ
भगवान
हो,
तो
फिर
हठी
क्यों
हो?
जो
चाहो
कर लो!
कहीं
ऐसा
तो
नहीं
कि
भगवान हो
इसीलिए
हठी
हो?
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment