कहाँ है वो रहमत की मूसलाधार बारिश जो अभी अभी बरसी थी?
शायद बह गई सारी रिसने को वजूद की जड़ों में,
छोड़ हमारे पृष्ठ को छूटने दुआ-शिकायत के जाल से।
No comments:
Post a Comment