मातृभाषा को जब हमनें छोड़ भी दिया, यही सोच वो फिर भी हमसे दूर न गई,
कहीं कभी समझ न पाये गर अंग्रेज़ी हमारी आह को तो तर्जुमा (ट्रांसलेशन) तो कर दे।
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