Saturday, August 2, 2014

लकड़ी का घर

पहाड़ की
उस वादी में
बनाऊँगा
एक दिन
लकड़ी का
अति सुन्दर घर
जिसकी
ऊपरी मंज़िल
सजाऊँगा
सिर्फ़
गद्दों
किताबों
ख़ामोशी से
करने
साधना...

ऐसी थी
इच्छा
बरसों से।

आज
बना है
तो
शेष हूँ
कम,

बस
लक्कड़हारा
और कारीगर
ही
सके ले जा
सुकून की
पोटलियाँ
अपनी अपनी
साथ अपने
अपनी कुटियाँ।

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