जिस फ़र्राटे से छूटे हो मजबूरियों की गुलेल से, लक्ष्य की आँख फोड़कर ही शायद अब रुको,
रास्ते में शायद हों तुम्हारी किस्मत के भी पंछी, देखना कहीं उन्हें न जा लगो।
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