घुटने पर पट्टी बाँधे नोट से मैंने पूछा “चल सकोगे?"
नोट मुस्कुराया और अपनी चमकती हस्तरेखा देख बोला “पकड़ मेरी उंगली, तेरी मंज़िल तक तुझे पहुँचा ही दूँगा,
मेरे सफ़र की पूछता है क्यों, कहाँ मेरी क़यामत तक तू मेरे साथ चलेगा?"
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