माँगता है जब भीख बाज़ार मुझसे, बाख़ुदा बड़ा लुत्फ़ आता है,
होते हुए भी कुछ ज़रूरत नहीं जब ख़रीदता मैं, ज़ख़्मी दिल क्या बताऊँ क्या सुकून पाता है।
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