साँसों की तितलियाँ
Thursday, October 23, 2014
चार दिन
बिताओ
चार दिन तो
ख़ुदा के संग,
ज़रा
मिलो बरतो
तो
सही,
कौन जाने
तुम
पसंद
न आओ
उसको,
या तुम्हें
वही...
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