गुरु तेरे द्वार के इस तरफ़ की दुनिया उस तरफ़ की दुनिया से मुख़तलिफ़ है क्यों,
है तू मौजूद जब दोनों तरफ़, दुनियावालों को शुबा है क्यों!
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