Friday, October 17, 2014

मिलन

कुछ
मैं घुमाऊँ
ज़मीं
लगा ज़ोर,

कुछ
आफ़ताब को
बहकाना
तुम,
जल्द
उतारना
फ़लक के
शजर* से,            (*वृक्ष)

आओ
करें
मिलकर
इस सुबह
की
शाम
कुछ
जल्द,
मिलन का
फल
खायें।

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