कुछ मैं घुमाऊँ ज़मीं लगा ज़ोर,
कुछ आफ़ताब को बहकाना तुम, जल्द उतारना फ़लक के शजर* से, (*वृक्ष)
आओ करें मिलकर इस सुबह की शाम कुछ जल्द, मिलन का फल खायें।
No comments:
Post a Comment