आए इजाज़त कंधो के ऊपर से तो उठाने दूँ बाज़ुओं को हाथ फैलाने के लिए,
इस बार सोचता हूँ जुड़ी हथेलियों से बस शुक्रिया को पढूँ नमाज़।
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