Saturday, December 6, 2014

पूरनमासी

बैठा हूँ
कब से
किनारे
दिल के,
गिनते
पूरनमासी को दिन,

शायद
उठ पड़ें
यादों के ठहरे समंदर में
भावनाओं की
लहरें|

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