साँसों की तितलियाँ
Saturday, December 6, 2014
निशां
अपने
मददगार
के निशां
वो दिन रात
उठाये था
अपनी ही
देह पर,
कुर्ता
जो पहना था
उसने,
नाप
किसी और का था।
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