साँसों की तितलियाँ
Tuesday, December 2, 2014
नशा
धरती को
नशा था
कि
उसे ही
देखता है
लुकता छिपता
घूमता
सूरज,
सूरज की
बारहा
ज़िम्मेदारियाँ
बहुत थीं।
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