दीपक तुझे देखता हूँ जब इस करीब से, पुतलियों की बंद खिड़कियों से ठिठुरती रूह को आती है ग़ज़ब गर्माइश, तेरी इसी दीवाली को बीनता है दिन बरस मेरा।
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