दो चार सौ औरतों लड़कियों की खुशियाँ चुपचाप ख़रीद था वो ले जा रहा लोकल ट्रेन से बाँद्रा,
अगले दिन की बिक्री के लिए थीं वो तीन पोटलियाँ चूड़ियों की।
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