लाखों अख़बारों में छपी अपनी तस्वीर की आँखों से ढूँढ़ती है अपने चोर को गुमशुदा भगवान् रघुनाथ की मूर्ति, और असल मूर्ति की आँखें हैं मुंदी जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
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