सागर तट से पर्वत शिखर पर जाने में लग जाते चूँकि उसे चंद दस हज़ार बरस शायद,
बुलवा भेजा मुझे, सदियों से भीगते उस पत्थर नें,
मेरे हाथों से उठवा जेब में ख़ुद को डलवाया उसनें।
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