Saturday, October 4, 2014

टुकड़ा

बहुत दिनों से
गुम था
मेरे दिल का
एक
टुकड़ा,
रहा ढूँढ़ता
वादी वादी
मिलता न था...
अपने
नाम
की
सुनकर
प्रतिध्वनि
जो
सर उठाया
तो चोटी पर
मुस्कुराता
हाथ हिलाता
बेदम
मिला।

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