Sunday, October 5, 2014

शक्लें

इतनी
शक्लों
के लोग
तूने
क्यों
बनाये?

बहलाने उनका
या
अपना दिल?

करने
आपस में
प्यार
या
देने दग़ा?

सुधारने
तेरे ख़ुद
की गलती
या
देने
ख़ुद ही को
सज़ा?

No comments:

Post a Comment