इतनी शक्लों के लोग तूने क्यों बनाये?
बहलाने उनका या अपना दिल?
करने आपस में प्यार या देने दग़ा?
सुधारने तेरे ख़ुद की गलती या देने ख़ुद ही को सज़ा?
No comments:
Post a Comment