दुनिया ज़रूर ढूँढती तुम्हें, तुम्हारा इस्तक़बाल करती,
गर होती दुनिया दुनिया की मानिंद, बाग़ी एकाकी बशरों का बस देखने में झुण्ड न होती।
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