Friday, May 6, 2016

विराम

पारा चढ़ जाँदा
दुनिया दा
जदों वेखदी
प्रश्न या विस्मिक चिन,

हाओमें तिड़क जाँदी शायद,

पै जाँदा
जिवें
सप्प दी पूँछ ते
किसे अनसुखावणे सवाल दा
पैर!

हुण ताँ
गल कह के
चुप्पी दा
पूर्ण विराम ही
चंगा,
असर ज़रूरत मुताबिक़,
न कोई टकराव,
न पंगा।

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