Saturday, May 7, 2016

सुनहरी

जद
गुज़रे ज़माने दी
इक झलक वी ए
लक्खाँ दी,

कित्थे रोल तै
आपणा अज
तू बन्देया,
जेड़ी सुनहरी पन्न वी खोलाँ
ए कक्खाँ दी।

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