कित्थे रहिआँ हुण ओ डेओड़ियाँ ओ मेहराबदार पुलियाँ ओ बा अदब दरवाज़े जेड़े आप अग्गे आ के कहंदे सी जी आयाँ नूँ,
हुण ताँ रह गए बस लोहे दे गेट बन्द रहण नूँ।
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