साँसों की तितलियाँ
Friday, May 6, 2016
महफ़िल
न मिसरा उठाना
न दाद देना आया,
तेरी सोहबत को
महफ़िल
कहूँ कैसे,
न दर्द मिला
न सुकून आया।
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