Saturday, May 14, 2016

काश

काश
डले होते
मृत देह पर
अंतिम पथ में,
सादर विसर्जित तो होते,

यूँ
चाटुकारिता के हाथों
दम्भ के गले
पड़,
बेरुख़ी से
यूँ उतार
कचरे संग
फेंके तो न जाते!

No comments:

Post a Comment