काश डले होते मृत देह पर अंतिम पथ में, सादर विसर्जित तो होते,
यूँ चाटुकारिता के हाथों दम्भ के गले पड़, बेरुख़ी से यूँ उतार कचरे संग फेंके तो न जाते!
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