Sunday, May 1, 2016

पुत्त

अजे वी ए
किसे कोने जिऊँदा
गुज़रेया बुढ़ापा
वक़्त दा,

रोंदा
कदे
अरदासाँ करदा,
सोच हशर
जवान पुत्त जहे
अज्ज दे
हालाताँ दा।

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