साँसों की तितलियाँ
Tuesday, May 31, 2016
इस बार
चलो
अन्जाम से
करते हैं
इस बार
आग़ाज़,
भूल कर
ख़ुद को
ख़ुद ही से
हैं मिलते!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment