साँसों की तितलियाँ
Sunday, May 29, 2016
मिलन
कहाँ कहाँ से
लौटते हैं
सागर
अपने
पर्बतों से मिलने!
बहते हैं
अभी तक
जहाँ
प्रेम के
नदियाँ नाले।
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