Saturday, May 28, 2016

स्पर्श

बेऔलाद
समन्दर को
आज
अनायास
क़रार आया,

एक
काग़ज़ सी कश्ती
को देख
अपनी पीठ पर,
दूर किसी कूहल किनारे बैठे
अपने से नाती का
स्पर्श आया।

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