साँसों की तितलियाँ
Thursday, May 5, 2016
बूँद
कहीं
ऐसा न हो
कि लौटा दूँ
जीती हुई
दुनिया,
मेरे
समन्दर ओ ख़्याल की
एक बूँद
तो हो!
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