आओ बैठो यहाँ मेरे सामने देखो ज़रा मेरी तरफ़।
खोलूँ काटूँ तुम्हें कलम की धार से, निकालूँ अंदर से तुम्हारे, तुम्हारी महकती भीगी नायाब कहानी, मेरी ज़ुबानी।
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