Monday, April 28, 2014

प्रार्थना


जैसे
रहता है
खड़ा
सामनें
चुपचाप
बिना दिये
कोई मशवरा
प्रतिक्रिया,
टिप्पणी,

बिना किसी
डाँट डपट,
नाराज़गी
हैरानगी
मायूसी,

जैसे
रहता
सुनता
चुपचाप
बिना टोके रोके,
चाहे जितनी
देर,
एकटक,
समझते
सब कुछ...

वो ईश्वर,
जब करता हूँ
उससे प्रार्थना....

वैसे ही हो
तुम,
इसीलिए
शायद
अच्छे
हो लगते
इस कदर |

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