Wednesday, April 30, 2014

परख

पत्थर को
मिट्टी से,
मिट्टी को
पानी से,
पानी को
हवा
और
हवा को
धूप से,
धूप को
वक्त,
वक्त को
आसमान,
आसमान को
सपनें
और
सपनें को
हक़ीकत से
तोलते
मिलाते
परखते
नापते हो!

होओगे
ज़रूर
तुम
इन्सां ही,

भगवान को
ढूँढ़ते
होओगे|

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