पत्थर को मिट्टी से, मिट्टी को पानी से, पानी को हवा और हवा को धूप से, धूप को वक्त, वक्त को आसमान, आसमान को सपनें और सपनें को हक़ीकत से तोलते मिलाते परखते नापते हो!
होओगे ज़रूर तुम इन्सां ही,
भगवान को ढूँढ़ते होओगे|
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