Friday, April 4, 2014

सुबह

सूरज,
जिस दिन
सदियों लम्बी
रात के
पिछले पहर,
वक्त के
तेल को जला,
बिन फूँक
ख़ुद ही
फड़फड़ा के
बुझोगे,
कौन सी
हसीन
सुबह
लाओगे,
कब लाओगे!

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