आज भी झपककर अपलक करती हैं गीला बार बार गोद में बैठी बुझी आँखें, वो पलकें इस तरह,
जैसे चूमती हो माँ बार बार अपना बच्चा खोने के बाद भी कई सदियाँ ।
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