Saturday, April 12, 2014

पलकें

आज भी
झपककर
अपलक
करती हैं
गीला
बार बार
गोद में
बैठी
बुझी
आँखें,
वो पलकें
इस तरह,

जैसे
चूमती हो
माँ
बार बार
अपना
बच्चा
खोने के
बाद भी
कई सदियाँ ।

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