साँसों की तितलियाँ
Thursday, August 17, 2017
सच्चाई
शायद
इसी सबब से
उठता है
आये दिन
शहर में
कोई न कोई,
जायें
बीस पचास
साथ
देखने
अंतिम सच्चाई,
याद रहे।
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