Wednesday, August 30, 2017

निगाह

देख अपने ज़ख़्मों को
कभी अलग निगाह से,
तेरे गुनाह भी छिपे हैं
तेरी कहानी की पनाह में!

हैं अगरचे मुख़्तलिफ़
ज़मीनों के आसमान,
आसमानों की हक़ीक़त
उनकी हवाओं में है!

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