देख अपने ज़ख़्मों को कभी अलग निगाह से, तेरे गुनाह भी छिपे हैं तेरी कहानी की पनाह में!
हैं अगरचे मुख़्तलिफ़ ज़मीनों के आसमान, आसमानों की हक़ीक़त उनकी हवाओं में है!
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