हाथ में उठाता हूँ पढ़ने को अख़बार तो लगता है जैसे कंधे से पकड़ा है मैंने सामने खड़ी हर ख़बर को मैंने,
टैब में पढ़ता हूँ तो लगता है बीच बुल्लेट प्रूफ़ काँच की दीवार है कोई।
No comments:
Post a Comment