साँसों की तितलियाँ
Thursday, July 31, 2014
ज़िद
तू
मेरी
रंगत
को
रंग
देता है,
कौन
मानता है
मेरी ज़िद
इस तरह
जैसे
तू
मानता है।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment